G-20 देशों का शिखर सम्मेलन 2023 में भारत में आयोजित होगा. इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग सहित तमाम मुद्दों जैसे आतंकवाद, मानव तस्करी, ग्लोबल वार्मिंग आदि पर वैश्विक राय बनाई जाती है. जानिए- क्या होगा देश को फायदा.
G-20 की स्थापना 1999 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी. इस मीटिंग के जरिये वैश्विक मुद्दों पर विचार विमर्श करने और आम राय बनाने के लिए बहुत से इंटरनेशनल संगठन बनाए गए हैं. इन्ही संगठनों में से एक है G-20. इसमें G का मतलब ग्रुप से है.
जी-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. ये सभी सदस्य मिलकर दुनिया की जीडीपी का 85 फीसदी हिस्सा बनाते हैं.
बता दें कि 21-22 नवंबर को 15वां जी-20 शिखर सम्मेलन आभासी तरीके से हुआ. सम्मेलन की अध्यक्षता सऊदी अरब ने की. अब आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन का पूरा ध्यान कोरोना वायरस महामारी के प्रभावों, भविष्य की स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के कदमों पर केंद्रित होगा.
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस शिखर सम्मेलन में जी-20 एक आर्थिक राहत कार्यक्रम पेश कर सकता है. दूसरे फायदे के तौर पर कहा जा रहा है कि अगले सम्मेलन में जी 20 के द्वारा गरीब देशों के ऊपर कर्ज के बोझ को कम करने की योजना भी पेश किये जाने की उम्मीदें हैं.
सऊदी में हुए सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आने से समुदायों को संकट से सामूहिक रूप से और आत्मविश्वास के साथ लड़ने में मदद मिलेगी. हमारे ग्रह पृथ्वी के प्रति भरोसे की भावना हमें स्वस्थ और समग्र जीवन शैली के लिए प्रेरित करेगी.
एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा था कि प्रतिभा पूल बनाने के लिए मल्टी-स्किलिंग और री-स्किलिंग हमारे कार्यकर्ताओं की गरिमा और लचीलेपन को बढ़ाएगी. नई प्रौद्योगिकियों के मूल्य को मानवता के लिए उनके लाभ से मापा जाना चाहिए.