
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध के माहौल के बीच उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद स्थित सिरौलीगौसपुर तहसील के किंतूर गांव में देशभर के मीडिया संस्थानों का जमावड़ा लगा हुआ है। कारण है – ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनई के गुरु और पूर्व नेता आयतुल्लाह सैयद रुहल्लाह मूसवी ख़ुमैनी के दादा सैयद अहमद मूसवी हिंदी की जड़ें इसी गांव से जुड़ी हुई हैं।
किंतूर के काजमी परिवार से जुड़े सैयद निहाल अहमद काजमी ने जानकारी दी कि उनके पूर्वज सैयद अहमद मूसवी हिंदी का जन्म 1830 में किंतूर गांव में हुआ था। नवाबों के साथ वह इराक की यात्रा पर निकले और बाद में ईरान के खोमैन गांव में बस गए। वहीं उनके वंशज सैयद रुहल्लाह मूसवी ख़ुमैनी पैदा हुए, जिन्होंने आगे चलकर ईरान की इस्लामी क्रांति का नेतृत्व किया।
काजमी परिवार ने स्पष्ट किया कि मौजूदा सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनई का इस गांव से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन वे ख़ुमैनी साहब के शिष्य रहे हैं और उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चलते हैं।
ईरान-इजरायल युद्ध को लेकर सैयद निहाल अहमद काजमी ने कहा कि कोई भी इंसानियत पसंद व्यक्ति युद्ध को जायज़ नहीं ठहरा सकता। वहीं उनके पुत्र सैयद आदिल काजमी ने इसराइल को हिंसक और ईरान को अमन पसंद देश बताया।
इतिहास और आस्था से जुड़ा किंतूर गांव न सिर्फ ईरान के धार्मिक इतिहास से जुड़ता है, बल्कि यहाँ महाभारत कालीन माने जाने वाले कुंतेश्वर धाम में माता कुंती द्वारा स्थापित शिवलिंग भी स्थित है, जो इसे और अधिक पौराणिक महत्व प्रदान करता है।