पंचायत चुनावों में कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भारी संकट, बढ़ रही स्थगन की माँग

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री अतुल मिश्रा ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बढ़ती हुए कहर से पूरे प्रदेश में मरीजों व मृतकों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व मुख्य चुनाव आयुक्त से उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित पंचायत चुनाव को स्थगित करने की पुन: पुरजोर मांग की।

केवल कड़े निर्देशों का हवाला

श्री मिश्रा ने बताया कि सरकार द्वारा कोरोना के विकराल रूप को देखते हुए विशिष्ठ संस्थानों सहित समस्त जनपदीय चिकित्सालय की ओपीडी सेवा बन्द कर दी गई। लखनऊ में केजीएमयू व बलरामपुर चिकित्सालय को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में परिवर्तित कर दिया गया। चूंकि, मरीजों की संख्या व दिवंगतों की संख्या को देखते हुए अनेको कड़े निर्देश उपचार व बचाव में दिए जा रहे हैं।

कर्मचारी, जनता दोनों के संक्रमित होने की प्रबल संभावना

कार्यालयों में 50 प्रतिशत उपस्थिति कर दी गई। यहाँ तक व्यापार मण्डल ने सराहनीय निर्णय लेते हुए अधिकांश बाजार स्वयं से बंद कर दिया। प्रदेश की जनता भी वर्तमान में भयभीत है और कोविड दिशा निर्देश के पालन में कम से कम बाहर निकल रही है। ऐसी परिस्थितियों में पंचायत चुनाव कराने का निर्णय अलोकप्रिय है व जनता तथा कर्मचारियों व उनके परिवार के जान से खिलवाड़ करना जैसा प्रतीत होता है। श्री मिश्र ने बताया कि दिनांक 15 अप्रैल 2021 को जिन जनपदों में पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं उनमें से अधिकांश जनपदों के पदाधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि पोलिंग बूथों पर ना कोई थर्मल स्कैनर की व्यवस्था थी जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि वोट डालने वाला व्यक्ति बुखार से ग्रसित है अथवा नहीं,न ही कोई मास्क चेक करने वाला था, न ही पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर उपलब्ध थे।

स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों की भी लगाई थी ड्यूटी

यह भी प्रकाश में आ रहा है कि कई जगह स्वास्थ्य विभाग के नर्सेज व पैरामेडिकल कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई हैं। निर्वाचन सम्पन्न कराने में जिससे चिकित्सालयों का भी बुरा हाल है। इन परिस्थितियों में जो निर्वाचन करवाया जा रहा है उससे निश्चित रूप से यह प्रतीत होता है की सरकार व चुनाव आयोग के प्राथमिकता में चुनाव संपन्न कराना है ना कि वोट देने वाली जनता या चुनाव को संपन्न कराने वाला कर्मचारी या उसका परिवार। इस प्रकार की संवेदनहीनता का प्रतिफल चुनाव के बाद सरकारी कर्मचारियों मैं बड़े हुए संक्रमण के रूप में दिखाई पड़ सकता है जोकि एक प्रकार से कोरोना विस्फोट साबित होगा। अत्यंत खेदजनक है कि सारी परिस्थितियों का आकलन करने के उपरांत उपरोक्त निर्णय लिया गया तो चुनाव को स्थगित करने में कौन सी बड़ी कठिनाई है जो इसपर सकारात्मक निर्णय सरकार द्वारा नहीं लिया जा रहा। जबकि वर्तमान परिवेश में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश की बड़ी संख्या की जनता वर्तमान में कोरोना के कहर से या तो अस्पताल में भर्ती हैं या घर मे आइसोलेट है।

पंचायत चुनाव स्थगित कराने की अपील

परिषद के अध्यक्ष सुरेश, महामंत्री अतुल मिश्रा, संयुक्त मंत्री आशीष पाण्डेय व उपाध्यक्ष सुनील यादव ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि प्रदेश का मुखिया होने के नाते जनता व कर्मचारियों की भावनाओं को देखते हुए वर्तमान में प्रस्तावित पंचायत चुनाव को स्थगित कराने हेतु प्रभावी कार्यवाही करें। जिससे कि प्रदेश में हो रही कोरोना की वजह से दुर्घटनाओं पर नियंत्रण हो सके और जनता का विश्वास वर्तमान सरकार पर बना रहें। अन्यथा भविष्य में इसका दुष्परिणाम दिखाई पड़ेगा।

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