हारियाणा विधानसभा चुनाव में अपनें लाडलों के लिए टिकट की आस लगाये बैठे सांसदो की उम्मीद पर फिरा पानी

अमर भारती: हरियाणा विधान सभा 2019 के लिए बीजेपी ने सभी 90 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर दी है। पार्टी ने इस बार टिकट को लेकर काफी कड़ा रवैया जिसके चलते पार्टी ने इस बार विधान सभा चुनाव 2019 में पार्टी के किसी सांसद और मंत्री के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं दिया है। इससे पार्टी सांसदों को अपनी बेटे-बेटियों और परिवार के सदस्यों को टिकट दिलाने के अरमानों पर मानों पानी सा फिर गया हो।

आपको बता दे कि सर्जिकल स्ट्राइक,धारा 370 हटने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि एंव लोकप्रियता पूरे भारत में फैल चुकी है।जिसके चलते मोदी के नाम पर सभी व्यक्ति आज चुनाव लड़ना चाहता है। वही मुख्यमंत्री मनोहर लाल के जलवे के बीच प्रदेश के कई सांसद अपने परिवार के सदस्यों को विधायक बनाने के ख्वाब देख रहे थे। बीजेपी ने सभी 90 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है, लेकिन पार्टी ने किसी सांसद और मंत्री के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं  दिया है। इस तरह से बीजेपी के सांसदों को अपनी बेटे-बेटियों और परिवार के सदस्यों को टिकट दिलाने के अरमानों पर मानों पानी सा फिर गया हो।

गौरतलब हो कि हरियाणा के 10 सांसदों में से आठ अपने परिवार के सदस्यों के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। बीजेपी ने मोदी सरकार में मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को रेवाड़ी से टिकट न देकर सुनील मुसेपुर को मैदान में उतारा तो वही कृष्णपाल गुर्जर के बेटे के बजाय तिगांव सीट से पार्टी के पुराने कार्यकर्ता राजेश नागर को लड़ाने का फैसला किया है। मोदी सरकार के ये दोनों मंत्री अंत तक परिवार के लिए टिकट की जंग लड़े, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। जबकि दोनों नेता टिकट की मजबूत और दमदार तरीके से पैरवी करने में जुटे थे।

सोनीपत से बीजेपी सांसद रमेश कौशिक अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे, जबकि कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी अपनी पत्नी को विधानसभा भेजने के लिए जोड़तोड़ में जुटे थे। ऐसे ही भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मबीर अपने भाई के लिए टिकट मांग रहे थे।ऐसे ही अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया अपनी पत्नी बंतो कटारिया को प्रत्याशी बनवाना चाहते थे।

सांसद बृजेंद्र सिंह ने अपनी मां प्रेमलता के लिए टिकट की मांग की थी वहीं, रोहतक के सांसद डॉ. अरविंद शर्मा भी अपनी पत्नी के लिए टिकट की लाबीइंग करने में जुटे थे। इस तरह से हरियाणा के इन सभी 8 सांसदों को तगड़ा झटका लगा है।

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को भले ही टिकट नहीं दिला पाए, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी में मौजूदा समय के धुर विरोधी विपुल गोयल का टिकट कटवाने में सफल रहे हैं। इसी तरह केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भले ही अपनी बेटी आरती राव को टिकट नहीं दिला पाए लेकिन बीजेपी में अपने धुर विरोधी राव नरबीर सिंह का टिकट कटवाने में सफल रहे।

जबकि विपुल गोयल और राव मनोहरलाल हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार में मंत्री के पद पर थे। इन दोनों नेताओं के टिकट काटकर बीजेपी ने अपने दो सांसदों के गुस्से को ठंडा करने की कोशिश की है।