भगत सिंह पर किताब और लेख की वजह से लगा था नक्सली केस
नई दिल्ली। कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले से ख़बर आई है कि, हाल ही में कोर्ट ने एक आदिवासी युवक और उसके पिता को नक्सली केस से बरी कर दिया। युवक का नाम वित्ताला मालेकुडिया (32) और पिता लिंगप्पा मालेकुडिया (60) को पुलिस ने साल 2012 में नक्सली केस में गिरफ्तार किया था। दरअसल वित्ताला तब 23 साल का था और पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था। उसपर नक्सलियों के साथ लिंक होने का आरोप था। पुलिस ने वित्ताला समेत उसके पिता लिंगप्पा को भी गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने उनके खिलाफ जो सबूत दिए थे वे केवल एक लेख से संबंधित थे। जिसके बाद पिता और बेटे को 9 साल के कानूनी संघर्ष के बाद बरी कर दिया गया।
वित्ताला के हॉस्टल से मिली थी किताब
वित्ताला मालेकुडिया के हॉस्टल से भगत सिंह के ऊपर लिखी गई एक किताब भी बरामद की गई थी जिसे पुलिस सबूत बनाने की कोशिश कर रही थी। इस किताब में कहा गया था कि जब तक गांव में सभी सुविधाएं नहीं उपलब्ध होतीं, संसदीय चुनाव का बहिष्कार कर देना चाहिए। इसके अलावा कई अखबारों के टुकड़े और लेख भी वित्ताला के रूम से मिले थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि न तो इस तरह की पुस्तकें पढ़ने पर कोई कानूनी रोक है और न ही अखबार पढ़ना प्रतिबंधित है। ऐसे में इन पर आरोप साबित नहीं होते हैं।
नक्सलियों की मदद करने के आरोप
3 मार्च 2012 को पिता-पुत्र को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था कि वे जंगलों में छिपे 5 नक्सलियों की मदद कर रहे हैं। उनपर आपराधिक साजिश, देशद्रोह और UAPA के तहत मुकदमा चलाया गया था। जिन पांच नक्सलियों पर केस दर्ज किया गया था उनमें विक्रम गौड़ा, प्रदीपा, जॉन, प्रभा और सुंदरी शामिल थे। हालांकि इन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका। कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में ही इन पांचों के केस को मालकुडिया से अलग कर दिया गया था।