
पीलीभीत। गन्ना किसानों की फसल को छेदक कीटों से बचाने के लिए अब रासायनिक कीटनाशकों की जगह जैविक तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी क्रम में बरखेड़ा चीनी मिल द्वारा अपने अधीनस्थ ग्रामों में फेरोमोन ट्रैप वितरण व स्थापना का अभियान प्रारंभ किया गया है। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल एवं लागत प्रभावी होने के कारण किसानों में लोकप्रिय हो रही है।
फेरोमोन ट्रैप से कीट नियंत्रण में मिलेगी सफलता पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा, उत्पादन लागत घटेगी
ग्राम भोपतपुर में किसान सुरेन्द्र सिंह के खेत पर फेरोमोन ट्रैप लगवाकर जिला गन्ना अधिकारी खुशी राम भार्गव ने किसानों को इस तकनीक के लाभों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गन्ने की फसल को नष्ट करने वाले टॉप बोरर, अर्ली शूट बोरर जैसे कीटों की पहचान व नियंत्रण में यह ट्रैप अत्यंत उपयोगी है। ट्रैप में लगाए जाने वाले विशेष फेरोमोन ल्यूर कीटों को आकर्षित कर पकड़ लेते हैं, जिससे रासायनिक दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती। कम लागत में अधिक लाभ
फसल सुरक्षित, मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी। फेरोमोन ट्रैप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह तकनीक सस्ती है, बार-बार उपयोग की जा सकती है और मानव व पशु स्वास्थ्य के लिए पूर्णतः सुरक्षित है। इस उपाय से लाभदायक कीटों की भी रक्षा होती है, जिससे जैविक संतुलन बना रहता है। प्रति एकड़ 4 से 6 ट्रैप लगाए जाने की सिफारिश की गई है, जिन्हें गन्ने की ऊंचाई के अनुसार 1.0 से 1.5 मीटर की ऊंचाई पर लगाया जाना चाहिए। ट्रैप की नियमित सफाई और निरीक्षण से इसके प्रभाव को और बढ़ाया जा सकता है।
चीनी मिल द्वारा निःशुल्क ट्रैप वितरण
किसानों से जैविक तकनीक अपनाने की अपील जिला गन्ना अधिकारी ने किसानों से अपील की कि वे इस जैविक तकनीक को अपनाकर रासायनिक दवाओं की आवश्यकता को कम करें। उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी हेतु किसान अपने निकटवर्ती गन्ना विकास समिति/परिषद कार्यालय या जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय पीलीभीत से संपर्क कर सकते हैं।
इस अवसर पर मनोज साहू (ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक, बरखेड़ा), राजेश कुमार (सचिव, बीसलपुर), प्रदीप राठी (जी.एम. केन, बरखेड़ा चीनी मिल), प्रदीप पवार, डी.आर. सिंह सहित कई अधिकारी एवं किसान उपस्थित रहे।