दादा साहेब फाल्के आजीवन चलचित्र सेवा सम्मान–2025 से डॉ. अनिल रस्तोगी एवं राजवीर रतन सम्मानित

दादा साहेब फाल्के आजीवन चलचित्र सेवा सम्मान–2025

लखनऊ, 30 अप्रैल।
फिल्म एण्ड टीवी अकादमी उत्तर प्रदेश के रजत जयंती वर्ष समारोह में सुविख्यात अभिनेता डॉ. अनिल रस्तोगी और वरिष्ठ समीक्षक राजवीर रतन को “दादा साहेब फाल्के आजीवन चलचित्र सेवा सम्मान–2025” से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें साहित्यकार पद्मश्री डॉ. विद्या विंदु सिंह, राज्य ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री श्री गिरीश चंद्र मिश्रा तथा फिल्मकार सुनील बत्ता द्वारा अंगवस्त्र व स्मृतिचिह्न प्रदान कर दिया गया।

दादा साहेब फाल्के आजीवन चलचित्र सेवा सम्मान–2025

यह सम्मान समारोह भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहब फाल्के की 155वीं जयंती के उपलक्ष्य में यूपी प्रेस क्लब, लखनऊ में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. विद्या विंदु सिंह ने दादा साहेब फाल्के की फिल्म निर्माण यात्रा को प्रेरणादायक बताते हुए अकादमी की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फिल्म निर्माण से जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने हेतु वह हरसंभव प्रयास करेंगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोककलाविद् डॉ. विद्या विंदु सिंह ने दोनों सम्मानित विभूतियों के कला क्षेत्र में योगदान को अमूल्य बताया। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति अपनी विधा में संवेदनशीलता और समर्पण से कार्य करेगा, वह डॉ. रस्तोगी और श्री रतन की तरह पहचान बना सकता है।

समारोह का संचालन डॉ. अनीता सहगल ने किया। इस अवसर पर अकादमी के अध्यक्ष सुनील बत्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यदि सरकार का सहयोग मिले तो अकादमी फिल्म नीति के अंतर्गत फिल्म महोत्सव व कार्यशालाएं आयोजित करने को तत्पर है। उन्होंने प्रदेश में आधुनिक फिल्म सिटी और तकनीकी सुविधाओं की आवश्यकता पर बल दिया।

दादा साहेब फाल्के आजीवन चलचित्र सेवा सम्मान–2025

81 वर्षीय अभिनेता डॉ. अनिल रस्तोगी ने सम्मान स्वीकार करते हुए कहा कि वे पिछले छह दशकों से रंगमंच और फिल्म के माध्यम से जुड़े हैं और यह यात्रा आज भी उन्हें रोमांचित करती है। उन्होंने लोगों के स्नेह और ऐसे सम्मानों को अपनी ऊर्जा का स्रोत बताया।

वरिष्ठ समीक्षक राजवीर रतन ने सुनील बत्ता को प्रदेश में फिल्म जगत की दिशा बदलने वाला व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि फिल्म माध्यम में असीम संभावनाएं हैं, किन्तु यह खर्चीला होने के कारण कई प्रतिभाओं को आगे आने से रोकता है।

समारोह के दौरान दादा साहब फाल्के द्वारा निर्मित भारत की पहली मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ के अंशों का विशेष प्रदर्शन भी किया गया। कला व सिनेमा प्रेमियों, वरिष्ठ नागरिकों और कलाकारों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की।