लखनऊ, उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने सोमवार को आयोग कार्यालय, इंदिरा भवन, लखनऊ में विभिन्न जनपदों से प्राप्त 38 शिकायतों एवं पत्रावलियों पर जनसुनवाई की। इस दौरान कई मामलों में अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई गई और भविष्य में अनुपस्थित रहने पर शासन को कार्रवाई हेतु पत्र भेजने के निर्देश दिए गए।
जनसुनवाई में लखनऊ निवासी देवेन्द्र सिंह द्वारा चिकित्साधिकारी डॉ. सीमा सिंह की प्रोन्नति को लेकर प्रस्तुत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई हुई। आयोग ने निदेशक प्रशासन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को नोटिस जारी किया था, लेकिन सक्षम अधिकारी अनुपस्थित रहे। इस पर अध्यक्ष ने असंतोष व्यक्त करते हुए अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को निर्धारित की और निदेशक प्रशासन को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
झांसी के अवधेश निरंजन बनाम बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रकरण में पिछड़े वर्ग के प्रोफेसर को पदोन्नति न देने का मुद्दा उठा। उपस्थित पक्ष संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका, जिस पर आयोग ने नाराजगी व्यक्त करते हुए एक माह के भीतर समाधान का निर्देश दिया।
सीतापुर निवासी सीमा देवी के मामले में जिलाधिकारी प्रतिनिधि ने स्वीकार किया कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। आयोग ने निर्देश दिया कि उनकी भूमि पर कोई अवैध कब्जा न हो और त्वरित निस्तारण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
कानपुर नगर के जय सिंह नामदेव ने शिकायत की कि कुछ जनपदों में दर्जी जाति का प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। आयोग ने निर्देश दिया कि प्रभावित जनपदों की सूची प्रस्तुत की जाए, ताकि संबंधित जिलाधिकारियों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने हेतु निर्देशित किया जा सके।
प्रतापगढ़ के अशोक कुमार एवं अन्य बनाम जिलाधिकारी के मामले में, उपजिलाधिकारी रानीगंज ने उपस्थित होकर बताया कि रास्ते पर अवैध कब्जा हटा दिया गया है और अब आवागमन सुचारू रूप से हो रहा है।
अध्यक्ष राजेश वर्मा ने स्पष्ट निर्देश दिए कि भविष्य में सुनवाई में सक्षम अधिकारियों की गैर-मौजूदगी पर शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई कराई जाएगी। साथ ही, यदि शिकायतकर्ता सुनवाई में उपस्थित नहीं होंगे, तो उनके प्रकरण को समाप्त कर दिया जाएगा।