सगरा झील के प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ पर पर्यावरण प्रेमियों की नाराजगी, वन मंत्री से जांच की मांग


रामनगर। तहसील रामनगर के शाहपुर चक बहरवा गांव स्थित करीब 40 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली सगरा झील के प्राकृतिक स्वरूप में की गई छेड़छाड़ से पर्यावरण प्रेमी, ग्रामीण व स्थानीय जनप्रतिनिधि आहत हैं। झील में जेसीबी मशीनों से खुदाई कर तालाबों के रूप में बड़े-बड़े डैम बना दिए गए हैं, जिससे इसका मूल स्वरूप बदल गया है। पर्यावरण प्रेमियों ने इसे गंभीर मामला बताते हुए वन मंत्री व पर्यावरण मंत्रालय को पत्र भेजकर तत्काल जांच की मांग की है।

सगरा झील एक प्राकृतिक वेटलैंड के रूप में जानी जाती रही है, जहां शीतकाल में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं और यहां के शांत वातावरण में प्रवास करते हैं। झील के संरक्षण के लिए पूर्व में वन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान भी चलाया गया था, लेकिन हालिया घटनाक्रमों ने स्थिति को उलट दिया है।

ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय लापरवाही के चलते मत्स्य विभाग ने झील का पट्टा कर दिया और कथित रूप से इसमें वित्तीय अनियमितताएं भी हुईं। रेवन्यू की राशि से अधिक “सुविधा शुल्क” लिए जाने की भी चर्चा है। शुक्रवार को मौके पर ट्रैक्टर व लेवलर से तालाबों का निर्माण कार्य जारी था और सौर ऊर्जा से बोरिंग की जा चुकी है। आरोप है कि पट्टाधारी झील की पारिस्थितिकी को नष्ट कर केवल मछली पालन से मुनाफा कमाने की कोशिश में लगे हैं।

भाजपा नेता व जिला पर्यावरण समिति के सदस्य ब्रजेश शर्मा ने इस कार्यवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्राकृतिक झीलों, नदियों और पोखरों के स्वरूप को बिगाड़ना गंभीर अपराध है। यदि मत्स्य पालन ही कराना था तो पारंपरिक तकनीक से किया जा सकता था, लेकिन पूरी झील की प्रकृति ही बदल दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह झील विदेशी पक्षियों के लिए अनुकूल है और इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी का अहम हिस्सा रही है।

शर्मा ने बताया कि वे वन मंत्री, पर्यावरण मंत्रालय और अन्य संबंधित विभागों को पत्र भेजकर सगरा झील के संरक्षण, उसके पूर्व स्वरूप की बहाली और संपूर्ण प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग करेंगे। इस मुद्दे को लेकर ग्राम प्रधान सहित स्थानीय ग्रामीणों में भी गहरी नाराजगी है।