शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रही सरकार : मोदी

नई दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि देश के भविष्य के लिए युवाओं को तैयार करने में शिक्षा प्रणाली एक अहम भूमिका निभाती है और सरकार इसे आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारत मंडपम में ‘युग्म’ नवाचार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विचार (आइडिया) की ‘प्रोटोटाइप’ से ‘प्रोडक्ट’ तक की यात्रा कम से कम समय में पूरी होना जरूरी है।
एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस एनालिटिक्स, अंतरिक्ष तकनीक, स्वास्थ्य तकनीक और सिंथेटिक जीव विज्ञान को लगातार बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए मोदी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विकास और अपनाने में भारत की अग्रणी स्थिति पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा, किसी भी देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर होता है, इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने युवाओं के भविष्य के लिए और उन्हें भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार करें।प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें बड़ी भूमिका देश की शिक्षा प्रणाली की भी होती है, इसलिए हम देश की शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक आधुनिक बना रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हमने विकसित भारत के लक्ष्य के लिए अगले 25 वर्षों की समयसीमा तय की है। हमारे पास समय सीमित है, लक्ष्य बड़े हैं। इसलिए जरुरी है कि हमारे विचार (आइडिया) की ‘प्रोटोटाइप’ से ‘प्रोडक्ट’ तक की यात्रा भी कम से कम समय में पूरी हो।मोदी ने कहा कि प्रयोगशाला से बाजार की दूरी कम करके अनुसंधान के परिणाम लोगों तक तेजी से पहुंचते हैं और अनुसंधानकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलता है।उन्होंने कहा, ‘‘इससे अनुसंधान, नवाचार और मूल्य संवर्धन के चक्र में तेजी आती है।प्रधानमंत्री ने एक मजबूत अनुसंधान तंत्र की जरूरत बताई और शिक्षण संस्थानों, निवेशकों एवं उद्योग से अनुसंधानकर्ताओं का समर्थन करने को कहा।विश्व के सबसे लंबे ‘हाइपरलूप’ परीक्षण ट्रैक, भारतीय रेलवे के सहयोग से आईआईटी मद्रास में विकसित 422 मीटर लंबे ‘हाइपरलूप’ के चालू होने जैसे मील के पत्थरों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने नैनो-स्केल पर प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए आईआईएससी बैंगलोर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नैनो प्रौद्योगिकी और आणविक फिल्म में 16,000 से अधिक चालन अवस्थाओं में डेटा को संग्रहीत और संसाधित करने में सक्षम ‘ब्रेन ऑन ए चिप’ प्रौद्योगिकी जैसी अभूतपूर्व उपलब्धियों की सराहना की।


उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही भारत की पहली स्वदेश निर्मित एमआरआई मशीन के विकास को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे शास्त्रों में कहा गया है- परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति अर्थात जो दूसरों की सेवा और परोपकार के लिए जीवन समर्पित करता है, वही वास्तविक जीवन जीता है। उन्होंने कहा कि पीएम ई-विद्या और दीक्षा मंचों के तहत ‘वन नेशन, वन डिजिटल एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर’ का निर्माण किया गया है जिसका इस्तेमाल देश की 30 से ज्यादा भाषाओं और 7 विदेशी भाषाओं में पाठ्य पुस्तक तैयार करने के लिए हो रहा है।
मोदी ने कहा कि ‘नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क’ के जरिए छात्रों के लिए अलग-अलग विषयों को एक साथ पढ़ना आसान हो गया है, यानी भारत के विद्यार्थियों को अब आधुनिक शिक्षा मिलनी शुरू हुई है, उनके कॅरियर के लिए नए रास्ते बन रहे हैं। मोदी ने यह भी कहा कि अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर 2013-14 में सकल व्यय केवल 60,000 करोड़ रुपये था, जिसे अब सवा लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा,भारतीय विश्वविद्यालयों के परिसर ऐसे केंद्र बनकर उभर रहे हैं जहां युवाशक्ति सफल नवाचार कर रही है। उन्होंने सम्मेलन में कहा, ‘‘आज यहां सरकार, शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान से जुड़े भिन्न-भिन्न क्षेत्र के लोग इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। इस एकजुटता को ही ‘युग्म’ कहते हैं। एक ऐसा युग्म जिसमें विकसित भारत की भविष्य की तकनीक से जुड़े हितधारक एक साथ जुड़े हैं, एक साथ जुटे हैं।

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